सरकार की लीला अपरंपार
कभी वादों की बारिश, कभी योजनाओं की बौछार।
कहते हैं "आत्मनिर्भर बनो,"
पर खुद ही लेते हैं विदेशी उधार।
कागजों में विकास, हकीकत में जाम,
सड़कों पर गड्ढे, और योजनाओं में नाम।
जनता पूछे सवाल, तो कहते हैं, "धैर्य रखो,"
हर समस्या का हल, "अगले बजट" में रखो।
नेताओं की बातें, जैसे सपनों का संसार,
पर हकीकत में, जनता का हाल बेहाल।
फिर भी चुनाव में, वही पुराना नारा,
"हम लाएंगे बदलाव, बस हमें दो सहारा।
जियो दिल से.. "Somebody"