महंगाई महारानी
महंगाई रानी, देखो आई,
सबकी जेबें कर दीं खाली!
रसोई में अब आलू प्याज,
छुपकर बैठें, खाएँ नमाज!
सब्ज़ीवाले की मुस्कान है गहरी,
भिंडी के भाव सुन लगे पहरे!
टमाटर अब इतने अनमोल,
घर में रखते जैसे हों गोल!
पेट्रोल पंप पर खड़ी है जनता,
लीटर देख, दिल में मचे संग्राम!
गाड़ी तो अब शोपीस बनेगी,
पैदल चलना ही रहेगा आम!
दूध-दही से रिश्ते हुए बिगड़ते,
चाय बिना दिन कैसे गुज़रते!
लेकिन सरकार कहती है हंसके,
"सब बढ़िया, देखो आंकड़े!"
जनता बोले – "अब बस भी कर!"
महंगाई की साज़िश से हम बेखबर,
पर रोटी सादी खा के बैठे,
सोचें, कल क्या होगा बेहतर?